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                          Rajeev Tiwari

घर बैठे चला रहे हैं अपना 'चैनल'


मुख्य रूप से वीडियो देखने और मनोरंजन का साधन मानी जाने वाली यूट्यूब वेबसाइट का इस्तेमाल अब शिक्षा के प्रचार प्रसार में भी हो रहा है.
खाना बनाना, गीत संगीत से लेकर सिलाई कढ़ाई तक के कामों को आप वीडियो देख कर ऑनलाईन सीख सकते हैं.
यूट्यूब के माध्यम से लोगों के मोबाईल पर पहुंच कर, कुछ 'शिक्षक' न सिर्फ़ आधारभूत शिक्षा ही दे रहे हैं बल्कि एक बेरोज़गार को रोज़गार भी दिला रहे हैं.
यू-ट्यूब पर ज़्यादातर वीडियो मनोरंजन आधारित होते हैं लेकिन शिक्षाप्रद वीडियो भी अब यहां आपको नज़र आने लगे होंगे.
ये वीडियो लोगों को सिर्फ़ शिक्षित ही नहीं कर रहे बल्कि उनको बेहतर स्किल भी दे रहे हैं और ऐसे ही कुछ नि:शुल्क यू-ट्यूब वीडियो चैनल आजकल लोकप्रिय हो रहे हैं.
ऐसा ही एक चैनल है 'एग्ज़ाम फ़ीवर' जिसे रोशनी मुखर्जी चलाती हैं और इस चैनल के 83 हज़ार सब्सक्राइबर हैं.
झारखंड के धनबाद ज़िले में पली-बढ़ी रोशनी मुखर्जी को बचपन से ही पढ़ाई से लगाव था और बैंगलूरू की एक आई टी कंपनी में विश्लेषक के तौर पर काम कर रही रोशनी ने 2011 में यू-ट्यूब पर 'एक्ज़ाम फ़ीवर' के नाम से चैनल बनाया.
लगभग हर दिन रोशनी इस चैनल पर दो वीडियो अपलोड करती हैं और अपने चैनल पर आने वाले छात्रों को विभिन्न विषयों के बारे में जानकारी देती हैं.
रोशनी कहती हैं, "पढ़ाना मेरा पैशन है और आईटी सेक्टर में रहने के कारण मुझे पता था की इंटरनेट के माध्यम से ही कुछ करना है, आप मेरे चैनल को एक ऑनलाईन ट्यूशन कह सकते हैं."
आर्थिक पहलू पर बात करते हुए रोशनी कहती हैं, "एक्ज़ाम फ़ीवर मेरा जुनून है बिज़नेस नहीं पर इसे चलाने के लिए भी लागत लगती है इसलिए मैंने आर्थिक मदद के लिए एक नया ऑप्शन बनाया है."
कोयंबटूर में रहने वाली गृहणी श्रीप्रिया कनिगोल्ला बचपन से ही चित्रकला और कारीगरी में दिलचस्पी थी जिसमें शामिल है फैब्रिक पेंटिंग, माला बनाना, फूल बनाना.
अपनी शिल्प कला को युट्यूब चैनल में डालने के लिए पांच साल पहले प्रोत्साहन दिया उनके 16 वर्षीय बेटे ने, "मुझे तो कैमरा भी चलाना नहीं आता था लेकिन अब मैंने वीडियो की एडिटिंग के लिए सॉफ्टवेयर सीख लिया है और सारे वीडियो मैं खुद ही बनाती और अपलोड करती हूँ."
श्रीप्रिया के चैनल के लगभग 40 हज़ार सब्सक्रिप्शन हैं और अब तक उन्होंने 240 वीडियो अपलोड किए, उनकी कोशिश रहती है कि वो हर हफ़्ते करीबन 2 वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करें.
2010 में शुरू किए इस चैनल के लिए वो कहती हैं, "पेंटिंग करना और क्राफ्ट बनाना मेरा शौक है और मुझे ख़ुशी है की लोग इसका लाभ उठा रहे हैं. कितने लोग इस कला के वीडियो को देखकर स्कूलों में सिखा रहे हैं. मुझे ख़ुशी है की मैं लघु उद्योग को बढ़ावा दे रही हूँ."
2012 में उनकी यूट्यूब के साथ पार्टनरशिप हुई और कुछ पैसे मिलना भी शुरू हो गए हैं और उनके अधिकतर दर्शक जर्मनी, अर्जेंटीना से है जो अक्सर इस कला से जुड़े सवाल पूछते रहते है.
2010 में कुछ छात्रों द्वारा शुरू किया गया युट्यूब चैनल 'मेक मी जीनियस' बच्चों के लिए दिलचस्प एनीमेशन के ज़रिए विज्ञान के वीडियो अपलोड करता है.
5 साल से जारी इस चैनल के लगभग 70 हज़ार सब्सक्रिप्शन हैं.
हालांकि ये छात्र अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं क्योंकि वो इसे प्रसिद्धि के लिए नहीं कर रहे हैं.
नाम न बताने की शर्त पर इस चैनल के संस्थापक कहते हैं, "न हमें फ़ेम चाहिए, न पैसा. बस मैं इतना कह सकता हूँ कि हम कुल 5 लोग हैं."
इन छात्रों का लक्ष्य है की वो निस्वार्थ और मुफ़्त एजुकेशन दें और हर हफ़्ते वीडियो डालने वाले इस ग्रुप को अब यूट्यूब के विज्ञापन से पैसे मिलने लगे हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

यूट्यूब से कैसे होती है कमाई?

नब्बे के दशक और 2000 के दशक के शुरुआती दौर में नई फ़िल्मों का ट्रेलर देखने के लिए लोग टीवी पर चैनल बदलते नज़र आते थे.
लेकिन अब ज़माना बदल गया है. छोटी बड़ी सभी तरह की फ़िल्मों के ट्रेलर सीधे यूट्यूब पर ही लॉन्च हो रहे हैं.
यहीं नहीं एआईबी, द वायरल फ़ीवर, द प्रीटेन्शस मूवी रिव्यू जैसे कार्यक्रम तो ख़ासतौर पर यूट्यूब पर ही प्रसारित होते हैं और इन्हें देखने वालों की भी तादाद कम नहीं है.
यहां तक कि पूरी की पूरी फ़िल्म ही इस प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध होती है.
लोग इस पर व्‍यक्तिगत चैनल बनाकर वीडियो ब्रॉडकास्‍ट कर रहे हैं इसके बदले में उन्‍हें यूट्यूब पैसा दे रहा है.
लेकिन सवाल है कि यूट्यूब पर अपना वीडियो या कार्यक्रम डालकर लोग पैसा कैसे कमाते हैं?

पढ़िए पूरी रिपोर्ट

पूरी की पूरी फ़िल्में यूट्यूब पर उपलब्ध होने से क्या निर्माता को नुक़सान नहीं होता?
टीवीएफ़इमेज कॉपीरइटTVF
क्या इससे पायरेसी का ख़तरा नहीं पैदा होता?
एक आम व्यक्ति इस प्लेटफ़ॉर्म से कैसे पैसे कमा सकता है?
यूट्यूब के कंटेंट ऑपरेशंस प्रमुख सत्या राघवन के मुताबिक़ वीडियो बनाने वाले से लेकर विज्ञापन देने वाले भी यूट्यूब से अच्‍छी आमदनी कर रहे हैं.

सत्या बताते हैं, "बीते एक साल में लोगों का रुझान इस ओर काफ़ी हुआ है. इस बात को बॉलीवुड ने भी काफ़ी अच्छी तरह से समझा और फ़िल्म निर्माता भी अपनी फिल्मों के प्रमोशन तक के लिए यूट्यूब के चैनल पर आने लगे हैं."
पायरेसी के सवाल पर सत्या ने कहा, "पायरेसी का ख़तरा इससे नहीं हो सकता है, क्योंकि फ़िल्म बनने के बाद निर्माता-निर्देशक यूट्यूब से संपर्क कर लेते हैं, साथ ही 29 से 60 दिन का क़रार भी होता है. फिल्म सिनेमाहॉल से उतरने के बाद ही यूट्यूब पर आती है."
पैसा, यूट्यूब के वीडियो पर आने वाले विज्ञापनों से आता है.
सत्या बताते हैं कि विज्ञापनों से आने वाली आमदनी का 45 फ़ीसदी यूट्यूब और 55 फ़ीसदी वीडियो के निर्माता को जाता है.
शूटआउट एट लोखंडवाला' जैसी फ़िल्म बना चुके अपूर्व लखिया कहते हैं, "यह एक बहुत अच्छा मंच है. यहां हम दर्शकों को वह भी दिखा सकते हैं, जिन्हें आम तौर पर नहीं दिखाया जा सकता. मसलन फिल्म की मेकिंग आदि."
वहीं ‘डेल्ही-बेली’ के निर्देशक अभि‍नय देव का कहना है, "यूट्यूब की वजह से आपका उत्पाद ज़्यादा से ज़्यादा दर्शक देख सकते हैं, यह बॉलीवुड के लिए भी बड़ा

सेंसरशिप नहीं'

हां, यूट्यूब से सीडी/डीवीडी पार्लर और बाज़ार पर ज़रूर विपरीत असर पड़ने की बातें हो रही हैं.
दिनों दिन इंटरनेट की बढ़ती रफ़्तार से अब इस प्लेटफ़ॉर्म पर वीडियो देख पाना उपभोक्ताओं को ज़्यादा सुविधाजनक लगने लगा है.

लेकिन कई दफ़ा यूट्यूब पर ऐसी सामग्री आ जाती है जो कई लोगों को आपत्तिजनक लगती है.
अभी इस प्लेटफ़ॉर्म पर आने वाले वीडियो पर किसी तरह की सेंसरशिप का कोई प्रावधान नहीं है.
हां, अगर किसी को इन पर आपत्ति हो तो वो यूट्यूब को रिपोर्ट कर सकता है जिसे सही पाने पर उस वीडियो को हटा दिया जाता है.

Written by Rajeev Tiwari

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