Computer Knowledge Details
Rajeev Tiwari
रेड डाटा बुक क्या है - (What is the Red Data Book
आप सब जानते है कि दुनिया भर में लाखो प्रकार के जीव है। जिनके बारे में हमें पूरी जानकारी नहीं है इन जीवो में से कुछ जीव तो लुप्त हो चुके है और कुछ जीव लुप्त होने की कगार पर है। जो जीव लुप्त हो चुके है वो जीव किस कारण से लुप्त हुए और जो जीव लुप्त होने वाले है उन सभी जीवो का उल्लेख एक विशेष प्रकार की लाल किताब में किया गया है। जिसे रेड डाटा बुक (Red Data Book) कहते है। दुनिया की प्राकृति संरक्षण की अंतराष्ट्रीय संस्था IUCN (International Union for Conservation of Nature) ने अपने अधीनस्थ सरवाइवल सर्विस कमीशन संस्थान के द्वारा एक विशेष प्रकार की लाल किताब का प्रकाशन किया है। जिसमे दुनिया के सभी प्रकार के जीवो की जानकारी है। तथा लुप्त हो रही जीवो की प्रजातियों तथा उनके कारणों का उल्लेख भी है।
दुनिया की प्रथम रेड टाटा बुक 1 जनवरी 1972 को प्रकाशित हुई थी। अब तक कुल 5 रेड डाटा बुक प्रकाशित हो चुकी है। जो की निम्न प्रकार से है। -
प्रथम बुक - स्तनधारी
2. दूसरी बुक - पक्षी
3. तीसरी बुक - मरुस्थलीय उभयचर
4. चौथी बुक - मछलियां
5. पाँचवी बुक - पौधे - वनस्पतियाँ
2. दूसरी बुक - पक्षी
3. तीसरी बुक - मरुस्थलीय उभयचर
4. चौथी बुक - मछलियां
5. पाँचवी बुक - पौधे - वनस्पतियाँ
पेन ड्राइव में पासवर्ड कैसे लगाये (How To Make Pen Drive Password Protected
दोस्तों क्या आपको पता है की आपकी पेन ड्राइव को पासवर्ड प्रोक्टेक्टेड कैसे करे अगर नहीं तो मैं आज आपको बताऊंगा की आप बिना किसी सॉफ्टवेयर के अपनी पेन ड्राइव को कैसे सुरक्षित कर सकते है बस आपको कुछ आसान से स्टेप्स को फॉलो करना होगा। जिनको फॉलो करने के बाद आप अपनी पेन ड्राइव को पासवर्ड बना पाएंगे। आप अपनी पेन ड्राइव में इम्पोर्टेन्ट डाटा सुरक्षित रखते है। और आप कहते है की आपकी इम्पोर्टेन्ट जानकारी को कोई चोरी ना कर पाए तो इसके लिए आपको आपने कंप्यूटर में उपस्थित Bitlocker प्रोग्राम का प्रयोग करना होगा जिसे आप बहुत आसानी से कर सकते है।
सबसे पहले आप अपनी पेन ड्राइव को कंप्यूटर में कनेक्ट करके उसे पूरी तरह स्केन कर ले।
२. फिर Right Click करके Turn on Bitlocker ऑप्शन पर click करे। क्लिक करने के बाद एक विंडो खुलेगी और विंडो खुलकर खुद ही बंद हो जायेगी। उसके बाद प्रोग्राम स्टार्ट होगा।
३. अब आपको दो ऑप्शन मिलिगे जिसमे आपको पेन ड्राइव को लॉक करने के लिए कुछ ऑप्शन आयेगे। इन ऑप्शन में से आपको Use a Password to Unlock the Drive पर क्लिक करना होगा।
४. फिर पासवर्ड सेट करके Next पर टैप करे। इसके बाद विंडो ओपन होगी जिसमे Bitlocker Recovery Key को Save कर लीजिये।
५. फिर आपसे दो जगह पूछी जायगी। जहाँ पर आपके इस Recovery Key को Save करना चाहते है। अब आपको जहाँ भी आपको अपनी Recovery Key सेव करनी है उसे सेलेक्ट करके सेव कर ले। ये recovery key की आवश्यकता आपको तब होगी जब आप अपनी पेन ड्राइव का पासवर्ड भूल जायगे।
६. फिर एक और विंडो ओपन होगी जिसमे आपको Next पर क्लिक करते रहना है जब तक की Start Encrypting ऑप्शन ना आ जाये।
७. Eneryption ख़तम होने के बाद आपने पेन ड्राइव को कंप्यूटर से डिसकनेक्ट कर दे और फिर पेन ड्राइव को दोबारा कनेक्ट करे अब आपको पेन ड्राइव पासवर्ड माँगेगी। इस पासवर्ड में आप वो पासवर्ड इनपुट करे जो आपने सेट किया है। पासवर्ड इनपुट करने के बाद आपकी पेन ड्राइव ओपन हो जायगी।
इस तरह आप अपनी पेन ड्राइव में पासवर्ड सेट करके पानी इम्पोर्टेन्ट जानकारी सुरक्षित रख रखते है
कम्प्यूटर का वर्गीकरण (Classification of Computer in Hindi)
कंप्यूटर का प्रत्यक्ष रूप से सीधा वर्गीकरण (Direct Classification ) करना बहुत ही मुश्किल है। कम्प्यूटर का वर्गीकरण उनके काम काज, प्रयोग , और उद्देश्यों के आधार पर किया सकता है। इसलिए कंप्यूटर का वर्गीकरण हम तीन आधार पर करते है।
1. अनुप्रयोग के आधार पर (Application)
2. उद्देश्य के आधार पर (Purpose)
3. आकर के आधार पर (Size)
(1). अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटर का वर्गीकरण (Type of Computer Based on Application)
अनुप्रयोगों के आधार पर कंप्यूटर को तीन भागो में बाटा जा सकता है
(A) एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer )
(B) डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer)
(C) हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)
एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer)
इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जिनका प्रयोग भौतिक इकाइयों (दाब , तापमान , लंबाई ,आदि ) को मापकर उनको अंको में परिवर्तित करते है। ये कंप्यूटर किसी भी राशि का मापन तुलना के आधार पर करते है। जैसे की थर्मामीटर को गणना नहीं करता है। बल्कि पर के सम्बंधित प्रसार (Relative Expansion) की तुलना करके शरीर के तापमान को मापता है। एनालॉग कॉम्प्यूटर का प्रयोग मुख्य रूप से विज्ञानं और इंजीनरिंग के क्षेत्रो में किया जाता है। क्योकि इन क्षेत्रो में मात्राओ का अधिक प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के कंप्यूटर केवल अनुमानित अनुमान ही देते है। जैसे - किसी पेट्रोल पंप पर लगा एनालॉग कंप्यूटर पंप से निकलने वाले पेट्रोल की मात्रा को मापता है और लीटर में दिखता है। और उसके मूल्य की गणना करता है।
डिजिटल कॉम्प्यूटर (Digital Computer)
इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जो अंको की गणना करते है जब लोग कंप्यूटर के बारे में बाते करते है तो अधिकतर डिजिटल कंप्यूटर ही केंद्र बिंदु होता है। इस श्रेणी में वो कंप्यूटर आते है जो बाजार को चलते है , घरो का बजट तैयार करते है और अन्य सभी प्रकार के वे कार्य जो कंप्यूटर पर किये जा सकते है कर सकते है। इसलिए अधिकतर कंप्यूटर डिज़िटल कंप्यूटर के श्रेणी में ही आते है। डिजिटल कंप्यूटर डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले जाते है।
हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)
ये कंप्यूटर अनेक गुणों से युक्त होते है इसलिए इन्हें हाइब्रिड कंप्यूटर कहा जाता है। इन कंप्यूटर्स में एनालॉग कंप्यूटर और डिजिटल कंप्यूटर दोनों के ही गुण विधमान होते है। ये कंप्यूटर अधिक विश्वशनीय होते है। उदहारण के लिए जब कंप्यूटर की एनालॉग डिवाइस किसी रोगी के लक्षणों जैसे तापमान या रक्तचाप आदि को मापती है तो ये माप बाद में डिजिटल भागो के द्वारा अंको में बदल दी जाती है। इस प्रकार से किसी रोगी के स्वास्थ्य में आये उत्तर चढ़ाव का तुरंत सही पता चल जाता है।
) उद्देश्यों के आधार पर कंप्यूटर का वर्गीकरण (Type of Computers based on Purpose)
उद्देश्यों के आधार पर कंप्यूटर को हम दो भागो में बात सकते है।
(A) सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर (General Purpose Computer)
(B) विशिष्ठ उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer)
सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर (General Purpose Computer)
इन कंप्यूटर्स में अनेक प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है लेकिन ये सभी कार्य सामान्य होते है किसी विशेष प्रकार के नहीं होते है। जैसे वर्ड प्रोसेसिंग से (Word Processing) लेटर लिखना। Document तैयार करना। दस्तावेजो को छापना , डाटाबेस बनाना। इन कंप्यूटर में लगे हुए C.P.U. की क्षमता भी काम होती है। इन कंप्यूटर में हम किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए कोई स्पेशल डिवाइस नहीं जोड़ सकते है। क्योकि इन की C.P.U. की कार्यक्षमता बहुत काम होती है। इसलिए इन्हें केवल सामान्य उद्देश्य के लिए ही उपयोग किया जा सकता है।
विशिष्ठ उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer)
इन कम्प्यूटर को किसी विशेष कार्य के लिए बनाया जाता है इन कंप्यूटर के C.P.U. की क्षमता उस उस कार्य के अनुरूप होती है। जिस कार्य के लिए इस कंप्यूटर को बनाया जाता है। अगर इन कंप्यूटर एक से ज्यादा C.P.U. की आवश्यकता होती है तो इन कंप्यूटर की रचना अनेक C.P.U. वाली कर दी जाती है। जैसे - संगीत संपादन करने के लिए स्टूडियो में लगाया जाने वाला कंप्यूटर विशिष्ट प्रकार का कंप्यूटर होता है। इस कंप्यूटर में संगीत से सम्बंधित उपकरणों को जोड़ा जा सकता है।
इसके आलावा इन कंप्यूटर का प्रयोग आने क्षेत्रो में किया जाता है जैसे - अंतरिक्ष विज्ञानं ,मौसम विज्ञानं ,युद्ध के क्षेत्र , उपग्रह संचालन में ,चिकित्सा के क्षेत्र में, भौतिक रसायन में , यातायात नियंत्रण में ,समुन्दर विज्ञानं में , कृषि विज्ञानं में , इंजीनरिंग आदि क्षेत्रो में इन कंप्यूटर का प्रोयग किया जाता है।
) आकार के आधार पर कंप्यूटर का वर्गीकरण (Types of Computers based on Size)
आकर के आधार पर कंप्यूटर को निम्नलिखित भागो में बाटा गया है।
(A) माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)
(B) मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
(C) मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)
(D) सुपर कंप्यूटर (Super Computer)
माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)
कंप्यूटर तकनीक के क्षेत्र में 1970 के दसक में एक बहुत बड़ा अविष्कार हुआ। ये अविष्कार था माइक्रो प्रोसेसर का इस अविष्कार के साथ ही एक सस्ती और अच्छी कंप्यूटर प्रणाली बनना सम्भव हुआ। इस प्रकार निर्मित कंप्यूटर एक डेस्क पर या एक ब्रीफकेश में भी रखा जा सकता था। इन छोटे कंप्यूटर को ही माइक्रो कंप्यूटर कहते है। माइक्रो कंप्यूटर कीमत में काम और आकर में छोटे होते है। इन कंप्यूटर को व्यक्तिगत उपयोग के लिए घर या बाहर किसी भी कार्य क्षेत्र में लगाया जा सकता है। इन कंप्यूटर्स को पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer ) या P.C. भी कहते है। माइक्रो कंप्यूटर का व्यापर में बहुत महत्व है व्यापर बड़ा हो या छोटा ये हर प्रकार के व्यापर में प्रयोग किये जाते है। छोटे व्यापार में ये किये गए कार्य का ब्यौरा रखते है , पत्र व्यवहार के लिए पत्र तैयार करता है। उपभोग्ताओ के लिए बिल बना सकते है , एकाउंटिंग में प्रयोग कर सकते है , बड़े व्यापार में Word Processing और फाइलिंग प्रणाली के संचालन में उपयोगी है। माइक्रो कंप्यूटर में एक ही C.P.U. लगा होता है। आज वर्तमान में माइक्रो कंप्यूटर का विकास बहुत तेजी से हो रहा है। जिसके परिणाम सवरूप आज माइक्रो कंप्यूटर एक पुस्कत के आकर , फोन के आकर , और यहाँ तक की एक घडी के आकर में भी आने लगे है।
मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
सबसे पहला मिनी कंप्यूटर पीडीपी-८ (PDP-8) एक रेफ्रिजरेटर के आकर का था जिसकी कीमत 18000 डॉलर थी जिसे डी.ई.सी. (DEC - Digital Equipment Corporation) ने 1965 में तैयार किया था। ये कम्प्यूटर माध्यम आकर के कंप्यूटर होत्ते है। ये कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में अधिक कार्यक्षमता वाले होते है। मिनी कंप्यूटर की कीमत माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होती है। इन कंप्यूटर्स की व्यक्तिगत रूप से नहीं ख़रीदा जा सकता है। इन कंप्यूटर्स को छोटे और माध्यम आकर की कंपनिया प्रयोग में लेती है। इन कंप्यूटर पर एक साथ एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते है। मिनी कंप्यूटर्स में एक से अधिक C.P.U. होते है। इन कंप्यूटर्स के स्पीड माइक्रो कंप्यूटर से अधिक लेकिन मेनफ्रेम कंप्यूटर से कम होती है। माध्यम स्तर की कंपनियों में मिनी कंप्यूटर ही प्रयोग होते है। पार्टी व्यक्ति माइक्रो कंप्यूटर की अपेक्षा मिनी कंप्यूटर कंपनी में केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में कार्य करता है। और इससे कंप्यूटर के संसाधनों का साझा हो जाता है। मिनी कंप्यूटर के उपयोग यातायात में यात्रियों के आरक्षण के लिए आरक्षण प्रणाली , बैंको में बैंकिंग के लिए , कर्मचारियों के वेतन के लिए पेरोल तैयार करना, वितीय खातों का रखरखाव रखना आदि।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)
मेनफ्रेम कंप्यूटर आकर में बहुत छोटे होते है। तथा इनकी भण्डारण क्षमता भी अधिक होती है। इनमे अधिक मात्रा में बहुत ही तीव्र गति से डाटा को प्रेसेस करने की क्षमता होती है। इसलिए इनका प्रयोग बड़ी कंपनियों, बैंको , सरकरी विभागों में केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में किया जाता है। ये कंप्यूटर 24 घंटे कार्य कर सकते है। इन कॉम्प्यूटेस पर सेकड़ो यूज़र्स एक साथ कार्य कर सकते है। मेनफ्रेम कंप्यूटर को एक नेटवर्क या माइक्रो कंप्यूटरो के साथ आपस में जोड़ा जा सकता है। इन कंप्यूटर्स का प्रयोग विभिन्न कार्यो की लिए किया जा सकता है। जैसे - उपभोग्ताओ द्वारा खरीद का ब्यौरा रखना, भुगतानों का ब्यौरा रखना , बिलो को भेजना ,नोटिस भेजना , कर्मचारियों का भुगतान करना , टेक्स का विस्तृत ब्यौरा रखना आदि। कुछ मेनफ्रेम कंप्यूटरो की नाम है - IBM 4381, ICL39 Series और CDC Cyber Series.
सुपर कंप्यूटर (Super Computer)
ये कंप्यूटर अन्य सभी श्रेणियों के कंप्यूटर की तुलना में सबसे बड़े , सबसे अधिक संग्रह क्षमता वाले , सबसे अधिक गति वाले होते है। इन कंप्यूटर्स में अनेक C.P.U. समान्तर क्रम में कार्य करते है। इस क्रिया को Parallel Processing कहते है। सुपर कम्प्यूटर नॉन-वॉन न्यूमेन सिद्धान्त (Non-Von Neumann Concept) के आधार पर तैयार किये जाते है सुपर कंप्यूटर में अनेक ए०एल०यू० (A.L.U.), सी० पी० यू० (C.P.U.) का एक भाग होता है। इनमे प्रत्येक ALU एक निश्चित कार्य के लिए होता है। सभी ALU एक समान्तर क्रिया करते है। सुपर कंप्यूटर्स का प्रयोग बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओ में शोध कार्यो में होता है, अंतरिक्ष यात्रा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना, मौसम की भविष्यवाणी करना, उच्च गुणवत्ता की एनीमेशन वाले चित्रो का निर्माण करना। इन सभी कार्यो में की जाने वाली गणना व प्रक्रिया जटिल व उच्चकोटि की शुद्धता वाली होती है। जिन्हें केवल सुपर कंप्यूटर ही कर सकता है। भारत के पर PARAM नाम का सुपर कंप्यूटर है। जिसे भारत के वेज्ञानिको ने भारत में ही तैयार किया है। परम कंप्यूटर का विकसित रूप PARAM-10000 है। इसके आलावा अन्य सुपर कंप्यूटर भी है जैसे - CRAY-2, CRAY XMP-24 और NEC-500.
Written by Rajeev Tiwari
Comments
Post a Comment