कोरोना वायरस
Rajeev Tiwari
कोरोना वायरस का बढ़ता ख़तरा, कैसे करें बचाव
कोरोनावायरस अब चीन में उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रहा जितना दूसरे देशों में फैल रहा है. ये वायरस अब तक 60 से ज़्यादा देशों में फैल चुका है.
भारत में दिल्ली और तेलंगाना में भी इसके दो मामले सामने आए हैं. इस संक्रमण के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए सावधानी बरतने की ज़रूरत है ताकि इसे फैलने से रोका जा सके.
विश्व स्वास्थ्य संगठन, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से प्राप्त सूचना के आधार पर आगे आपको कोरोना वायरस से बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं.
संक्रमण से कैसे बचें
अभी तक ये पूरी तरह से पता नहीं चल सका है कि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है.
हालांकि, इससे मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए फैलते हैं.
इसलिए आप ख़तरे को कम करने के लिए इन बातों का ध्यान रख सकते हैं-
एनएचएस की सलाह के मुताबिक़, अपने हाथ अच्छी तरह धोएं. खांसते या छींकते वक़्त अपना मुंह ढक लें और हाथ साफ़ न हों तो आंखों, नाक और मुंह को छूने बचें.
इस तरह के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस पार्सल, चिट्टियों या खाने के ज़रिए फैलता है. कोरोना वायरस जैसे वायरस शरीर के बाहर बहुत ज़्यादा समय तक ज़िंदा नहीं रह सकते.
कितना ख़तरा
ब्रिटेन में चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर्स ने सार्वजनिक ख़तरे के स्तर को कम से मध्यम कर दिया है. लेकिन, एनएचएस का कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर जोख़िम कम है.
हालांकि, कुछ ऐसे देश हैं जहां पर कोरोना वायरस से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने की ज़्यादा आशंका है. इसलिए ब्रिटेन में चीन, इटली और ईरान से वापस आए लोगों के लिए ख़ास सलाह ज़ारी की गई है.
अगर आप इससे संक्रमित हो जाते हैं तो हल्के-फुल्के लक्षण सामने आएंगे. आप इसके संक्रमण से उबर भी सकते हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि बीमारी से होने वाली मौतों की दर कम है. यह 1 से 2 प्रतिशत के बीच है. यह भी पता चला है कि जिनकी मौत हुई, वो या तो उम्रदराज़ थे या उन्हें पहले से ही कोई बीमारी थी.
लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि वायरस के शुरुआती स्तर के मामलों और हल्के-फुल्के लक्षणों वाले मामलों को अभी गिना नहीं गया है. इसलिए संक्रमति मामलों की सामने आई संख्या पूरी तरह भरोसेमंद नहीं कही जा सकती.
क्या हैं लक्षण
इस कोरोनावायरस (कोवाइड-19) में पहले बुख़ार होता है, इसके बाद सूखी खांसी होती है और फिर एक हफ़्ते बाद सांस लेने में परेशानी होने लगती है.
हालांकि, इन लक्षणों का मतलब ये नहीं है कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण है.
कुछ और वायरस में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं जैसे ज़ुकाम और फ्लू में.
कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी, किडनी फ़ेल होना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है.
उम्रदराज़ लोग और जिन लोगों को पहले से ही कोई बीमारी है (जैसे अस्थमा, मधुमेह, दिल की बीमारी) उनके मामले में ख़तरा गंभीर हो सकता है.
ख़ुद को अकेले कैसे रखें
अगर आप संक्रमित इलाक़े से आए हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहे हैं तो आपको अकेले रहने की सलाह दी जा सकती है. ऐसे में ये तरीके अपनाएं -
- घर पर रहें
- ऑफ़िस, स्कूल या सार्वजनिक जगहों पर न जाएं
- सार्वजनिक वाहन जैसे बस, ट्रेन, ऑटो या टैक्सी से यात्रा न करें
- घर में मेहमानों को न बुलाएं
- कोशिश करें कि घर का सामान किसी और से मंगाएं.
अगर आप और भी लोगों के साथ रह रहे हैं तो ज़्यादा सतर्कता बरतें. अलग कमरे में रहें और साझा रसोई व बाथरूम को लगातार साफ़ करें.
14 दिनों तक ऐसा करते रहें ताकि संक्रमण का ख़तरा कम हो सके.
कोरोनावायरस से संक्रमित पाए जाएं तो...
वर्तमान में कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसमें बीमारी के लक्षण कम होने वाली दवाइयां दी जा सकती हैं.
जब तक आप ठीक न हो जाएं, तब तक आपको दूसरों से अलग रहना होगा.
कोरोना वायरस के इलाज़ के लिए वैक्सीन विकसित करने पर काम चल रहा है. उम्मीद है कि साल के अंत तक इंसानों पर इसका परीक्षण कर लिया जाएगा.
कुछ अस्पताल एंटी-वायरल दवाओं का भी परीक्षण कर रहे हैं.
कोरोना वायरस से संक्रमण का सबसे ज़्यादा ख़तरा किन्हें है?
केरल में चीन से लौटे जिस छात्र में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्ट हुई है उसकी हालत स्थिर बनी हुई है. ये भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला है.
लेकिन केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा का कहना है कि मरीज़ को त्रिशूर अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड ( एकांत वॉर्ड) में रखा गया है और उनकी हालत स्थिर है.
केरल में कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति ये है -
- केरल में क़रीब 1053 लोगों को निगरानी में रखा गया है
- 24 सैंपल पुणे भेजे गए
- 15 सैंपल निगेटिव मिले
- 1 सैंपल पॉज़िटिव
- गुरुवार को सात मरीज़ भर्ती
- अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है 15 लोगों का इलाज
केरल में अधिकारियों ने अलग-अलग अस्पतालों में क़रीब 15 आइसोलेशन वॉर्ड में मरीज़ों को रखा है और क़रीब 1053 लोग निगरानी के तहत हैं.
चीन से फैले इस वायरस की वजह से अब तक क़रीब 170 लोगों की मौत हो चुकी है.
केरल सरकार ने पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी को 24 सैंपल भेजे थे जिसमें से एक पॉज़िटिव निकला जबकि 15 निगेटिव. त्रिशूर के अस्पताल में जांच के लिए दिए गए तीन सैंपल की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है.
एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बीबीसी से कहा "लोग समूहों में नहीं आ रहे हैं. वे अलग-अलग हवाई अड्डों पर एक-एक या दो-दो की संख्या में आ रहे हैं लेकिन अगर उनमें बुखार या संक्रमण का कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है तो तुरंत उन्हें जांच के लिए भेजा जा रहा है और फिर निगरानी में रखा जा रहा है."
केरल के कई छात्र चीन में पढ़ाई कर रहे हैं. चीन के वुहान यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसीन में पढ़ाई कर रहे 56 छात्रों को वापस लाया जाना है.
इससे एक दिन पूर्व डॉ. शैलजा ने छात्रों को वापस लाए जाने पर फ़ैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया था. हालांकि इन छात्रों को चीन में पहले से ही एकांत में ठहराया गया था. एकांत में रखे जाने के पीछे कारण यह है कि वायरस संपर्क में आने पर तेज़ी से फैलता है
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी भारत में पहले कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि की गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा "भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बहुत पहले से ही हम यह सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं कि इसका पूरा निदान और इलाज हो."
डॉ शैलजा ने केरल के सभी सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ सभी निजी अस्पतालों को भी कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण वाले मरीज़ों को निगरानी में रखने के लिए कहा है.
इस बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि एहतियात के तौर पर ये क़दम उठाए जाने ज़रूरी थे क्योंकि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है. हालांकि उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि केरल पहले भी इस तरह की स्थिति से निपट चुका है.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन यह बात निपाह वायरस के संदर्भ में कह रहे थे. जिससे हज़ारों लोग संक्रमित हुए थे लेकिन मज़बूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की मदद से उस संक्रमण को महज़ 42 दिनों में नियंत्रित कर लिया गया था.
बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज़ में वायरोलॉजी प्रोफ़ेसर वी रवि ने बीबीसी को बताया " हमने सार्स के साथ-साथ निपाह वायरस के दौरान भी स्थिति को बहुत अच्छे से संभाला था. जिस भी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण नज़र आए उन्हें पूरी तरह निगरानी में रखा गया और इलाज किया गया."
हालांकि डॉ रवि यह ज़रूर कहते हैं कि संक्रमण के 60 से 70 फ़ीसदी मामलों में संक्रमित व्यक्ति में कोई गंभीर लक्षण (कमज़ोरी) नज़र नहीं आता है. लेकिन बुजुर्गों, मधुमेह पीड़ित और अन्य दूसरी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में यह ज़रूर गंभीर तौर पर असर दिखाता है.
डॉ रवि कहते हैं कि अभी जबकि संक्रमण की स्थिति है तो मानक तौर पर अगर किसी में संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हैं तो उससे एकांत में रखें और इसके साथ ही भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से परहेज़ करें.
भारत सरकार की एडवाइजरी
केंद्र सरकार ने आज चीन से लौट रहे लोगों के लिए ट्रेवल एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी के मुताबिक चीन से लौटने पर 14 दिनों तक-
- घर में अलग थलग रहें
- अलग कमरे में रहें
- केवल परिवार से सम्पर्क में रहे. बाहर आने जाने वालों से सम्पर्क न करें
भारत में चिंता
इसके पहले सरकार ने दिल्ली समेत देश के सात हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की ताकि अगर चीन या हांगकांग से लौटे किसी शख़्स में संक्रमण के असर दिखते हैं तो उसकी तुरंत जांच कराई जा सके.
भारत में नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के डायरेक्टर डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने बीबीसी को बताया कि यह वायरस मर्स और सार्स वायरस की तरह जानवरों से ही आया है.
दस से बीस दिनों के भीतर ही यह वायरस 40 से 550 लोगों को संक्रमित कर चुका है. जो वायरस अब तक चीन तक ही सीमित था वो अब 5-6 देशों तक भी पहुंच चुका है.
वो कहते हैं, "यह वायरस अमरीका तक पहुंच चुका है तो हमारे देश के लोग भी चीन की यात्रा करते हैं. क़रीब 1200 मेडिकल स्टूडेंट चीन में पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें से ज़्यादातर वुहान प्रांत में ही हैं. ऐसे में अगर वो वहां से लौटते हैं तो इस वायरस के भारत में आ जाने की आशंका बहुत बढ़ जाती है."
कोरोना वायरस का पहला मामला भारत के केरल में
कोरोनावायरस अब चीन में उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रहा जितना दूसरे देशों में फैल रहा है. ये वायरस अब तक 60 से ज़्यादा देशों में फैल चुका है.
भारत में दिल्ली और तेलंगाना में भी इसके दो मामले सामने आए हैं. इस संक्रमण के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए सावधानी बरतने की ज़रूरत है ताकि इसे फैलने से रोका जा सके.
विश्व स्वास्थ्य संगठन, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से प्राप्त सूचना के आधार पर आगे आपको कोरोना वायरस से बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं.
अभी तक ये पूरी तरह से पता नहीं चल सका है कि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है.
हालांकि, इससे मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए फैलते हैं.
एनएचएस की सलाह के मुताबिक़, अपने हाथ अच्छी तरह धोएं. खांसते या छींकते वक़्त अपना मुंह ढक लें और हाथ साफ़ न हों तो आंखों, नाक और मुंह को छूने बचें.
इस तरह के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस पार्सल, चिट्टियों या खाने के ज़रिए फैलता है. कोरोना वायरस जैसे वायरस शरीर के बाहर बहुत ज़्यादा समय तक ज़िंदा नहीं रह सकते.
ब्रिटेन में चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर्स ने सार्वजनिक ख़तरे के स्तर को कम से मध्यम कर दिया है. लेकिन, एनएचएस का कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर जोख़िम कम है.
हालांकि, कुछ ऐसे देश हैं जहां पर कोरोना वायरस से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने की ज़्यादा आशंका है. इसलिए ब्रिटेन में चीन, इटली और ईरान से वापस आए लोगों के लिए ख़ास सलाह ज़ारी की गई है.
अगर आप इससे संक्रमित हो जाते हैं तो हल्के-फुल्के लक्षण सामने आएंगे. आप इसके संक्रमण से उबर भी सकते हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि बीमारी से होने वाली मौतों की दर कम है. यह 1 से 2 प्रतिशत के बीच है. यह भी पता चला है कि जिनकी मौत हुई, वो या तो उम्रदराज़ थे या उन्हें पहले से ही कोई बीमारी थी.
लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि वायरस के शुरुआती स्तर के मामलों और हल्के-फुल्के लक्षणों वाले मामलों को अभी गिना नहीं गया है. इसलिए संक्रमति मामलों की सामने आई संख्या पूरी तरह भरोसेमंद नहीं कही जा सकती.
इस कोरोनावायरस (कोवाइड-19) में पहले बुख़ार होता है, इसके बाद सूखी खांसी होती है और फिर एक हफ़्ते बाद सांस लेने में परेशानी होने लगती है.
हालांकि, इन लक्षणों का मतलब ये नहीं है कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण है.
कुछ और वायरस में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं जैसे ज़ुकाम और फ्लू में.
कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी, किडनी फ़ेल होना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है.
उम्रदराज़ लोग और जिन लोगों को पहले से ही कोई बीमारी है (जैसे अस्थमा, मधुमेह, दिल की बीमारी) उनके मामले में ख़तरा गंभीर हो सकता है.
Written by Rajeev Tiwari
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